अब कम उम्र वाली महिलाएं भी हो रही हैं, संतान सुख से वंचित। क्या हैं कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार?

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बेचारी नारी, जो कभी नहीं हारी!

  • वैसे तो नारी कभी बीमारी के अलावा अन्य किसी से नहीं हारी। कुंवारी होने पर वह मासिक धर्म, पीसीओडी, सोमरोग आदि से पीड़ित रहती है और बाद में संतान की कामना से वह मारी मारी फिरती है। क्योंकि बांझ स्त्री को संसार गारी (गाली या आक्षेप) से कलंकित करता है।
  • जवानी में नारी गर्भवती होने की तैयारी में पूरी शक्ति लगा देती है और अंतिम पारी में मोनोपॉज दुःखदायी रहता है। जिससे नारी की सारी होशियारी धरी रह जाती है। यही समय की बलिहारी है।
    • हरेक नारी को रहती है बच्चे की चाहत, किंतु एलोपैथी में राहत नहीं! अंग्रेजी मेडिसिन से कभी आराम नहीं मिलता अपितु राम राम करके जीती है महिलायें.

महिलाओं के मन की मलीनता नाशक अदभुत और चमत्कारी उपाय से भरपूर इस लेख में पढ़ें, युवा महिलाओं में बांझपन की वजह क्या है? और जाने किस दिन, वार, नक्षत्र में संसर्ग करने से होगा पुत्र या पुत्री, जाने ज्योतिष संहिता के संस्कृत श्लोकों से।

बांझपन की बड़ी वजह-

पीसीओडी के कारण बांझपन यानि इंफर्टिलिटी की समस्याएं दिनोदिन बढ़ने के कारण 100 में 73 युवतियां, महिलाएं समस्या से जूझ रही हैं और एलोपैथिक की नियमित रसायनिक दवाएं खाने से रजो:निवृत्ति यानि जवानी में ही माहवारी बंद हो रही है।

  • मासिक धर्म रुकने के बाद परेशान करने वाला स्त्री विकार अब युवावस्था में लडकियों को चिंता, तनाव का सबब बन चुका है।

एक महाभयंकर रोग कष्टार्तव, नष्टार्तव, और असहनीय माहवारी यानि एंडोमेट्रियोसिस

  • यदि बार-बार गर्भ ठहरने अथवा कंसीव करने की कोशिश कामयाब नहीं हो रही हैं, तो इसकी एक वजह एंडोमेट्रियोसिस endometriosis हो सकता है। गर्भाशय से जुड़ी इस समस्‍या के कारण महिलाओं की संतानोत्पत्ति अवरोध (फर्टिलिटी) बुरी तरह से प्रभावित होती है।

तेजी से पांव पसार रजा है संतान हीनता दोष

  • स्त्री रोग विशेषज्ञों के मुताबिक बांझपन (इंफर्टिलिटी) महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस की व्यापकता 31 से 40 फीसदी तक हो सकती है।
  • अकेले भारत में 3 करोड़ से ज्यादा एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित होने का अनुमान है। इस असाध्य स्त्रीरोग से दुःखी गर्भवती महिला को गर्भपात या समय पूर्व प्रसव होने का खतरा अधिक होता है। अतः समय रहते सभी स्त्री विकारों का आयुर्वेदिक इलाज करें।

42 फीसदी महिलाओं को गर्भधारण यानि प्रेग्नेंट होने (मां बनने) में समस्या

  • देश में करीब 42% से ज्यादा महिलाओं को रक्त, श्वेत प्रदर, सोमरोग/पीसीओडी तथा एंडोमेट्रियोसिस के कारण गर्भधारण में रुकावट हो रही है।
  • महिला चिकित्सकों का कहना है कि सूजन से स्पर्म या एग को नुकसान पहुंचता है और स्कार टिश्यू फेलोपियन ट्यूब को ब्लॉक कर देता है।
  • एंडोमेट्रियोसिस एक ऐसा विकार है जिसमें गर्भाशय की लाइनिंग बनाने वाले ऊतक से मिलता हुआ ऊतक गर्भाशय की गुहा के बाहर विकसित होने लगता है। गर्भाशय की लाइनिंग को एंडोमेट्रियम कहते हैं। जब ओवरी, बाउल और पेल्विस की लाइनिंग के ऊतकों पर एंडोमेट्रियल टिश्‍यू विकसित होने लगते हैं, तब एंडोमेट्रियोसिस की समस्‍या उत्‍पन्‍न होती है।

कष्टार्तव यानि एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण

  • यह स्त्रीरोग पीसीओडी से बहुत मेल खाता है। माहवारी के समय कभी भी कमर के निचले हिस्‍से में दर्द होना। मासिक धर्म के दौरान अचानक असहनीय पीड़ा होना, मासिक धर्म से पहले और दौरान पेट के निचले हिस्‍से में दर्द होना, माहवारी के एक या दो हफ्ते के आसपास ऐंठन महसूस होना, जी मिचलाना, माहवारी के बीच में खून आना या पीरियड्स में ज्‍यादा ब्‍लीडिंग होना, इनफर्टिलिटी, मल त्‍याग करने में असहज महसूस होना आदि

चरक संहिता में ये सब लक्षण कष्टार्तव, सोमरोग यानि पीसीओडी के बताए हैं। नारी को इन लक्षणों से जूझना पड़ सकता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि एन्डोमीट्रीओसिस एक ऐसी बीमारी है, जो समय के साथ बढ़ती जाती है। इसीलिए माहवारी का दर्द भी हर मासिक धर्म के साथ बढ़ता जाता है।

  • यौन-संबंध (सेक्स) के दौरान दर्द होना
  • मलोत्सर्ग (defecation) या पेशाब के समय कष्ट होना।
  • जमे हुए रक्त के कारण श्रोणि में गाठें या एंडोमीट्रियल सिस्ट्स बनना।
  • इस बीमारी से जूझ रही कुछ महिलाओं को इनफर्टिलिटी जैसी परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है।

एलोपैथिक में नहीं है एंडोमेट्रियोसिस का उपचार

  • आमतौर पर अंग्रेजी दवाओं या सर्जरी से इसकी चिकित्सा की जाती है। एलोपैथी के डॉक्‍टर इबूप्रोफेन या नैप्रोक्‍सेन जैसी दर्द निवारक दवा लेने की सलाह देते हैं। लेकिन इन सबसे स्थाई राहत नहीं मिलती और अंत में मरीज को आयुर्वेद की शरण में आना पड़ता है।
  • हार्मोनल थेरेपी शरीर द्वारा बनने वाले एस्‍ट्रोजन की मात्रा को कम और पीरियड्स को रोक सकती है। इससे घाव से खून कम निकलता है और आपको ज्‍यादा सूजन, स्‍कार और सिस्‍ट नहीं बनती।
  • हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) उन अवस्थाओं में की जाती है, जब शरीर में प्राकृतिक तरीके से बनने वाले हार्मोन की कमी हो जाए। इससे शरीर को कई प्रकार की परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। जैसे महिलाओं में काम उम्र में रजोनिवृति (मीनोपॉज)की अवस्था ऐसी ही एक अवस्था है, जब महिलाओं के प्रधान हार्मोन की कमी हो जाती है।

हार्मोनल थेरेपी में

  • कई बार प्रभावित टिश्‍यू को निकालने के लिए डॉक्‍टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। कुछ मामलों में मात्र {5%} सर्जरी लक्षणों को कम कर प्रेगनेंट होने की संभावना को बढ़ा सकती है। डॉक्‍टर लैप्रो‍स्‍कोपिक या ओपन सर्जरी कर सकते हैं। हालांकि, कभी-कभी सर्जरी के बाद दर्द वापस आ जाता है।
  • संतानहीन और सोमरोग, पीसीओडी एवं PCOS से पीड़ित महिलाओं के लिए सम्पूर्ण जानकारी। यह भय, भ्रम, भटकाव से बचाएगी।

आध्यात्मिक धार्मिक उपाय

  • हिंदू मान्यताओं और गरुण पुराण के अनुसार संतान हीनता, बांझपन, संतति न होना आदि को पितृदोष बताया गया है। अगर भोलेनाथ पर भरोसा करते हों, तो इस मंत्र को कभी भिकाम करते समय दिन रात जपते रहें।
  • !!ॐ पितृरेश्वराय शंभुतेजसे नमः शिवाय!!
  • बुजुर्गों का कहना था की दवा के साथ दुआ भी अपना असर दिखाती है।

आयुर्वेद की महानता

  • प्रकृति से जुड़े वैदिक अंग के प्रवर्तक स्वयं महादेव हैं। आयुर्वेद की सभी प्राचीन पांडुलिपियां, उपनिषद आदि पहले जीर्ण शीर्ण और विकीर्ण थे। उसके बाद उसका संग्रह करके जीवन-विज्ञान की विस्तृत संहिता का निर्माण हुआ जिसमें आयुर्वेद विषयों का क्रमबद्ध संकलन १००० अध्यायों में विभक्त था। प्रत्येक अध्याय में १०० श्लोक एवं कुल एक लाख श्लोक थे।

इह खल्वायुर्वेदो नामोपाङ्गमथर्ववेदस्यानुत्पाद्यैव।

प्रजाः श्लोकशतसहस्रमध्यायसहस्रं च कृतवान् स्वयंभूः

  • अर्थात् – आयुर्वेद नामक विज्ञान अथर्ववेद की शाखा है। स्वतः प्रसूत महादेव ने सृष्टि रचना के पूर्व प्राणियों को उत्पन्न करने इसे एक लाख श्लोकों तथा सहस्र अध्यायों में क्रमवद्ध किया।
  • इसके बाद आठ अंगों में विभक्त वैज्ञानिक विश्वविषयात्मक संहिताओं– चरकसंहिता तथा सुश्रुतसंहिता की रचना हुई। यह स्रष्टा युग था। तदनन्तर, वाग्भट ने उपर्युक्त दोनों ग्रन्थों के मूलभावों का संग्रह कर तथा नवीन ज्ञान को समाविष्ट कर युगानुरूप एक संक्षिप्त ग्रन्थ का निर्माण किया जिसमें समस्त विश्व के रोगों और द्रव्यों के ज्ञान का सार सन्निहित था।
  • क्रमशः चिकित्सा विज्ञान की विभिन्न शाखाओं पर पृथक् ग्रन्थ बनाये गये यथा माधवनिदान, शार्ङ्गधरसंहिता और अन्तिम विश्वविषयात्मक ग्रन्थ - भावप्रकाश १६वीं शती में प्रकाशित हुआ था।

आयुर्वेद में 28 तरह के नारी विकारों का वर्णन है

  • शारंगधर संहिता, माधव निदान, चरकादि में स्त्रियों के अनेक गुप्तरोगों का उल्लेख है। जैसे रक्त, श्वेत प्रदर, मासिक धर्म की अनियमितता, पेटू का दर्द, कष्टार्तव, नष्टार्तव, बांझपन, सोमरोग, कटिशूल, माहवारी का अवरोध, बच्चेदानी की शिथिलता, बार बार गर्भपात, गर्भ न ठहरना आदि।
  • आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इन्हीं सब लक्षणों को नए नाम से प्रस्तुत किया है। जैसे लिकोरिया, व्हाइट डिस्चार्ज, पीसीओडी, PCOS, एंडोमेट्रियोसिस आदि।

एंडोमेट्रियोसिस, पीसीओडी का शर्तिया इलाज

  • अशोक छाल, लोध्र, पत्रंगा, दशमूल, उलट कंबल, वंशलोचन, हरितकी मुरब्बा, गुलकंद, आंवला मुरब्बा, शिलाजीत, शतावर, जैसी जड़ीबूटियां स्त्री के अंदरूनी अंगों को शुद्ध कर आर्तव (MC) सही समय पर लाने तथा सोमरोग या पीसीओडी ठीक करने में चमत्कारी हैं। आयुर्वेद में सम्पूर्ण स्त्रीरोगों की स्थाई चिकित्सा है।

लोध्र छाल स्त्रीरोग पीसीओडी में हितकारी

  • प्रजनन संस्थान – यह स्त्रियों के गर्भाशय के शोथ, सूजन,और रक्तस्राव को शान्त करता है।
  • लोध्रा से निर्मित ओषधियां के नियमित सेवन से सुंदरता में निखार आता है।
  • महिलाओं के गुप्त रोग रक्त और श्वेत प्रदर नाशक।
  • सोमरोग या पीसीओडी में इसका प्रयोग लाभकारी होता है। इन रोगों में इसके क्वाथ की योनिवस्ति गर्भस्राव में भी देते हैं।

लोध्रा से निर्मित आयुर्वेदिक योग

Complete Care for Women’s Health and Beauty

अशोक छाल नारी का सौंदर्य बढ़ाता है

अशोकस्य त्वचा रक्तप्रदरस्य विनाशिनी।

अशोक छाल परिचय

  • आयुर्वेदिक निघंटू के अनुसार अशोक नारी को शोक, दुःख रहित बनाता है। यह महिलाओं की खूबसूरती बढ़ाने वाली चमत्कारी ओषधि है।

अशोक छाल के प्रजननसंस्थान में कार्य

  • महिलाओं में गर्भाशय के शैथिल्य, पीड़ा तथा स्राव को दूर करता है। यह गर्भाशय को उत्तेजित करता है तथा उसके संकोच को बढ़ाता है जिससे उसकी क्रिया ठीक होने लगती है और रक्तस्राव भी रुक जाता है।
  • अशोक छाल, गर्भाशय की अन्तःकला तथा बीजकोष (ovary ) पर भी अशोका छाल का उत्तेजक प्रभाव होता है।

स्त्री के लिए अनेक रोगनाशक ओषधि

प्रजननसंस्थान संबंधित– रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर, कष्टार्त्तव तथा गर्भाशयशैथिल्य में देते हैं।

मूत्रवह संस्थान –

  • अशोक के बीजों का चूर्ण मूत्रकृच्छ्र और अश्मरी में देते हैं। तापक्रम - दाह में प्रयुक्त होता है
  • बीज मूत्रल और अश्मरीनाशन एवम दाहप्रशमन है।
  • अशोक छाल नारी रसायन वा उत्तेजक है। इसका क्वाथ गर्भाशय के रोगों को हरनेवाला है। विशेषकर रजोविकार ( Menorrhagia) को नष्ट करता है । (आर० एन० क्षौरी २य भाग, पृ० २१७) वर्णन

अशोक छाल से निर्मित ओषधियां

  • दुनिया में नारी रोगों की दवा बिना अशोक के बन पाना असम्भव है। अशोकरिष्ठ, नारी सौंदर्य माल्ट और नारी सौंदर्य कैप्सूल अशोक छाल से निर्मित ओषधियां जगत प्रसिद्ध हैं। यह सोमरोग, रक्त एवं श्वेत प्रदर, पीसीओडी को जड़ से मिटाती है।
  • आयुर्वेद में महिलाओं के आर्तव को शुद्ध पवित्र कर गर्भाशय, बच्चेदानी को स्वस्थ्य, मजबूत बनाने वाली अनेक ओषधियां का वर्णन है। उन्हीं में से खोजकर नारी सौंदर्य माल्ट/कैप्सूल तैयार किया है।
  • अगर कम उम्र वाली महिलाएं भी हो रही हैं, संतान सुख से वंचित, तो बस, ये 2 दवाएं संतान प्राप्ति में मदद करेंगी। आयुर्वेद में इसका १०० फीसदी कारगार उपचार है।
  • आयुर्वेद का सोमरोग और आज का पीसीओडी/PCOS, एंडोमेट्रियोसिस जैसे स्त्रोरोगों के कारण युवतियां हो रही हैं संतान से वंचित। जाने कारण, लक्षण और शर्तिया इलाज।

Nari Sondarya Malt

में मिलाए गए द्रव्य घटक निम्नांकित हैं

Local Name Quantity

Ashok 500 mg Lodhra 800 mg Arjun 200 mg ह्रदय हितकारी Dash mool 500 mg अंदरूनी स्त्रीरोग नाशक Mulethi 100 mg ओजवर्धक Shatawari 500 mg स्तन्य, दुग्ध वर्धक Gokharu 500 mg मूत्र विकार नाशक Amala murbba 1500 mg Gulkand 1000 mg पित्त नाशक Kishmish 200 mg रक्त वर्धक Anjeer 100 mg यकृत क्रियाशील बनाए Ulat kambal 500 mg ब्लीडिंग अवरोधक Gular 20 mg मोनोपॉज नाशक Badam 50 mg मस्तिष्क वर्धक Brahmi 50 mg बुद्धि वर्धक Bal chhad 10 mg निद्रा, तनाव नाशक Maju phal 20 gm प्रदर, कष्टार्तव में उपयोगी Chaturjat 200 mg पाचनतंत्र ठीक रखे Kalimirch 80 mg कफनाशक Dhatri loh 50 mg नष्टार्तव में उपयोगी Punernavadi mandoor 50 mg रक्त वर्धक Godanti bhasm 100 mg अंदरूनी ज्वर नाशक Trivang bhasm 45 mg संतानोत्पत्ति में सहायक Bhol badhh ras 20 mg नियमित MC लाता है।

NARI SOUNDARY Capsule में मिश्रित ओषधियां!

  • Ashoka 72 mg, Lodhra 45 mg,
  • Arjun 30 mg,
  • Putranjiva 45 mg, संतान दाता
  • Nagar motha 20 mg, Shatawari 45 mg, Ashwagandha 20 mg,
  • Gokharu 20 mg, माहवारी शुद्धहिकारक
  • Amla 20 mg, एंटीऑक्सीडेंट
  • Ulat kambal 45 mg,
  • Nag keshar 10 mg, सौंदर्य दायक
  • Giloy sat 30 mg, Maju phal 5 gm,
  • Kutaki 10 mg,
  • Loh bhasm 45 mg, रक्त वृद्धि कारक
  • Mukta sukti pisti 45 mg, इम्यूनिटी बूस्टर
  • Swarnamakshik Bhasma 50 mg,
  • Trilokya Chintamani Ras with gold 1 mg,
  • Bang Bhasma 25 mg, पीसीओडी नाशक
  • Trivang Bhasma 45 mg, सोमरोग नाशक
  • Pushpdhanava Ras 25 mg, गर्भधारक
  • Bol badhh ras 10 mg,

Abhrak bhasm 15 mg, बांझपन नाशक

  • Shilajit 20 mg, शक्तिदायक
  • Shivlingon 20 mg, गर्भ स्थापक
  • Dashmool 50 mg,
  • Abhrak Bhasma Shataputi 20 mg, Shudhdha jaypal 1 mg, मल नाशक
  • Trifala mandur 20 mg, त्रिदोष नाशक
  • Pradantak Ras 20 mg,
  • Garbh chintamani ras (swarn yukt) 1 mg गर्भपात होने से बचाता है

उपरोक्त घटकों के गुण लाभ, कार्य एवम फायदे के बारे में अलग से एक ब्लॉग दिया जाएगा!

NARI SONDARYA MALT, OIL AND CAPSULE COMBO- REVIVE YOUR SKIN AND REPRODUCTIVE HEALTH MRP ₹ 3,259

  • The Nari Sondarya Combo contains Nari Sondarya Malt (200 gms), Nari Sondarya Oil (200 ml) and Nari Sondarya Capsules (50 capsules).
  • Amrutam’s Nari Soundarya Malt is the best malt for women in India. It is used to treat menstrual health problems and heal skin issues. This Ayurvedic health care malt by Amrutam possesses the goodness of Ashoka, Gurkha, Lodhra and Shatavari.
  • Amrutam’s Nari Sondarya Oil is a herbal treatment for acne, wrinkles and stretch marks on the body. It’s an authentic Ayurvedic formulation that helps enhance your skin health by treating acne and inflammation of the body. Buy this potent herbal oil for beauty is formulated using the best natural ingredients, including Badam and Chandanadi oils, to repair and restore skin health.
  • Consuming Nari Sondarya Capsules provides an effective Ayurvedic remedy for women’s menstrual health problems. These capsules for women’s health by Amrutam help you effectively manage PCOS and regulate delayed, irregular periods, as well as hormones. Nari Sondarya natural menstrual health capsules also help provide relief from menstrual cramps while boosting your fertility without any side effects

How To Use

Nari Sondarya Malt

 

  • Mix one or two tablespoons of Amrutam’s natural malt for women’s health and beauty in 100-200 ml warm water or milk and then consume.
  • Note: Nari Sondarya Malt contains natural sweeteners and is not advisable for diabetic patients.
  • Should be taken as directed by your physician.

Nari Sondarya Oil

 

  • Pour a few drops of Amrutam’s face and body oil on your palm.
  • Gently massage the oil into your skin after a bath or shower till the oil is absorbed into the skin.

Nari Sondarya Capsules

  • Consume one capsule with water, twice a day.
  • Use Nari Sondarya Capsules for at least four to six months.
  • For best results, use Nari Sondarya Malt and oil.

Benefits फायदे

Nari Sondarya Malt

  • Herbal malt for menstrual health is made with Ashoka, Gokhru, and Lodhra ingredients to gently reduce skin issues and menstrual problems.
  • According to Ayurveda, the Ashoka tree bark is recommended as a natural remedy for various gynecological issues such as cramps, heavy bleeding, bloating, fatigue, and burning sensation during the menstrual cycle. This natural malt for skincare by Amrutam also acts as an anti-inflammatory agent against pelvic disorders.
  • Lodhra is known to treat a host of menstrual disorders along with menopause, dysmenorrhea, amenorrhea, leucorrhea, yeast infections and breast tumors.
  • Along with treating symptoms of PCOS and low libido, Gokhru increases brain function, promotes a healthy heart, helps in digestion, treats kidney and urinary tract disorders, and improves skin health.
  • Shatavari not only improves digestion but also treats digestive complaints and boosts the immune system.

Nari Sondarya Oil

  • Amrutam’s Nari Sondarya Oil uses a traditional Ayurvedic recipe to boost women’s health and well-being.
  • Herbal skincare oil by Amrutam has an amalgamation of Badam and Chandanadi Oils to nourish, restore and retain the skin’s youthful glow.
  • The anti-inflammatory properties of Nari Sondarya Oil for women’s beauty treats skin ailments and acne.
  • Amrutam’s anti-ageing oil reverses signs of ageing such as wrinkles and reduces stretch marks on the body.

Nari Sondarya Capsules

  • Amrutam’s Nari Sondarya Capsules help women manage PCOS.
  • These Ayurvedic capsules for menstrual health help regulate delayed and irregular periods while improving your fertility.
  • Use herbal capsules for women’s health to get relief from menstrual cramps and to balance your hormones.
  • These herbal capsules for women’s skincare by Amrutam improve your skin’s health and glow. It also decreases the appearance of facial hair by reducing androgen levels in women.
  • Ayurvedic Nari Sondarya Capsules offer no side effects and are suitable for long-term use.
  • There are no side-effects from using these capsules over a long period

तन मन, अन्तर्मन की तंदुरुस्ती के लिए 15 बातें

  1. क्या कभी आज की युवा पीढ़ी ने सोचा है कि आखिर 22 से 30 साल के युवक युवतियों को गंभीर बीमारियां तेजी से क्यों बढ़ रही हैं। एक आत्म मंथन।
  2. दस रू किलो टमाटर लेकर ताजा चटनी खा सकते हैं, मगर हम डेढ़ सौ रूपे किलो वाला 2/3 महीने पुराना केमिकल युक्त टमाटो साँस खाते हैं।
  3. पहले हम एक दिन पुराना घड़े का पानी नहीं पीते थे, घर में रोज सुबह घड़े का पानी बदलते थे, अब तीन माह पुराना रसायनिक प्रिजर्वेटिव युक्त प्लास्टिक बोतल का पानी 20/ लीटर खरीद कर पी रहे हैं!
  4. प्राचीन कहावत है कि घी खाएं मांस बड़े, दूध पिए खोपड़ा यानि दूध पीने से शरीर में मांस, माझा बढ़कर हड्डी मजबूत होती है और दिमाग तेज होता है।
  5. आज की युवा पीढ़ी को 50/ लीटर का दूध महंगा लगता है और 3 से 4 माह पुरानी केमिकल से भरपूर 70/ लीटर का कोल्ड ड्रिंक हम पी लेते हैं।
  6. शरीर के लिए ताकतवर 200/ रुपए पाव मिलने वाला ड्राई फ्रुट हमें महंगा लगता है। लेकिन खतरनाक प्रिजर्वेटिव एवं मैदा से निर्मित 200/ का पीजा शान से खा रहे हैं।
  7. फूटे भाग्य विवेक के क्या करें जगदीश। घर का भोजन अमृत है, जिसे बच्चे पसंद नहीं करते। अपनी घर की रसोई में बना सुबह का खाना हम शाम को नहीं खाते। परंतु होटल, ब्रांडेड कंपनियों के छह छह माह पुराने सामान हम खा रहे हैं जबकि सभी को मालूम है कि खाने को सुरक्षित रखने के लिए उसमें रसायनिक प्रिजर्वेटिव मिलाया जाता है।
  8. आज की पीढ़ी को खाने पीने था जीने का सरूर नहीं है। गर्म के ऊपर ठंडा और ठंडे के बाद गर्म चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
  9. भारत में 35 फीसदी से ज्यादा युवतियां कोई न कोई गुप्तरोग या पीसीओडी, आर्तव हीनता, अत्याधिक आर्तव, अनियमित माहवारी जेसी महामारी से परेशान हैं। अब खूबसूरती को 4 चांद लगाने वाले चेहरे नदारत होते जा रहे हैं।
  10. अब अल्पायु 22-23 उम्र के नौजवानों को ह्रदयघात हो रहा है। हार्टफेल हो रहा है। किडनी, गुर्दा खराब हो रही है। लिवर खराब हो रहे है।
  11. रात को बिलंब से सोना, सुबह देर से उठना, सुबह उठते ही पानी न पीना। जल्दी जल्दी भोजन करना आदि।
  12. जरा सी तनिक तकलीफ या बीमारी में एलोपैथिक दवाओं का धड़ल्ले से इस्तेमाल रोगप्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर रहा है। इससे भी बचें।
  13. अधिक आलस्य, सुस्ती, तनाव, भय भ्रम से लोग थायराइड, मधुमेह, बीपी की समस्या झेल रहे हैं।
  14. इन सब अव्यवस्थित जीवन शैली लाइफ स्टाइल के कारण वात पित्त कफ का संतुलन बिगड़ चुका है और स्त्री पुरुषों को अनेकों असाध्य रोग पनप रहे हैं।
  15. वात पित्त कफ यानि देह को त्रिदोष रहित बनाने के लिए इस आयुर्वेदिक लाइफ स्टाइल किताब का अनुसरण, अमल करें।
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  • आयुर्वेद के असंख्य प्राचीन नियम अपनाकर कोई भी प्राणी निरोग रहते हुए 100 वर्ष तक जी सकता है।
  • माधव निदान की एक मान्यता यह भी है कि जिसे 50 की उम्र तक जिसे कोई भी बीमारी नहीं लगी, वह व्यक्ति 80 साल तक स्वस्थ्य, त्नद्रुस्त रहता है।

गर्भधारण के अध्यात्मिक उपाय

गर्भाधान - प्रजनन सूत्र - प्रयोग •

कामान्मिथुनसंयोगे शुद्धशोणित शुक्रजः।

गर्भ: संजायेत नार्या: स जातो बाल उच्यते ।

  • अर्थात रति सुख या प्रजोत्पत्ति मनोकामना से नर-नारी के मध्य परस्पर आकर्षण उत्पन्न होता है एवं दोनों की उपस्थेन्द्रियों का स्नेहज प्रगाढ सम्मिलन होकर शुद्ध रज-डिम्बाणु तथा विशुद्ध शुक्र-वीर्य का संयोग बनते हैं।
  • नारी के गर्भाशय में गर्भोत्पत्ति का प्रारूप चरितार्थ होता है एवं मासानुमासिक अभिवर्धित होते जब परिपक्व होकर जन्म लेता है उसे जातक अथवा बाल संज्ञा का स्वरूप मिलता है।

पुत्र कन्या पक्ष हित आयुर्वेदशास्त्रीय वचन सूत्र-

आधिक्ये रजसः कन्या पुत्रः शुक्राधिके भवेत्।

नपुंसकं समत्वेन यथेच्छा 'पारमेश्वरी॥

  • अर्थात पवित्र रज+शुक्र का गर्भाशय में संयोग बनते- उस समय डिम्बाणु रज का परिमाण अधिक होने पर कन्या जन्म और यदि वीर्य (शुक्र) का परिमाण अधिक होने पर पुत्रोत्पत्ति का नियामक आयुर्वेद शास्त्र में वर्णित है।
  • रति विषय वासना एवं गर्भाधान प्रक्रिया हेतु शास्त्रकारों ने कतिपय सूत्र वर्जित क्षण-काल-दिवस का भी विवेचन किया है। यथा संभव इन सूत्रों पर सुविज्ञ नर-नारी को ध्यान में रखना चाहिये।

चतुर्दश्यष्टमी चैव अमावस्या च पूर्णिमा।

पर्वाण्येतानि राजेन्द्र ! रविसंक्रान्तिरेव च॥

  • भावार्थ यह कि भद्रा- चतुर्थी - षष्ठी- अष्टमी-नवमी- चतुर्दशी- अमावस्या - पूर्णिमा आदि तिथि तथा रवि संक्रान्ति दिवस, संध्याकाल, माता पिता श्राद्ध दिवस-सूर्य चन्द्र ग्रहण दिवस एवं मंगलरवि-शनिवार तथा रजस्वला ऋतुधर्म के आरंभ से ४ रात्रि गर्भाधान विषय में त्याग करें।

इस नियामक पर ध्यान रखने से गर्भ प्रजनन एवं रचना कार्य शुभ होता है।

पुत्रोत्पत्ति कामना हेतु भी शास्त्रीय वचन विशेष यह कि-

युग्मासु पुत्रा जायन्ते स्त्रियोऽयुग्मासु रात्रिषु।

तस्माद्युग्मासु पुत्रार्थी संविशेदार्त्तवे स्त्रियम्॥

  • भावार्थ यह कि सम संख्यक दिवस ६-८-१०-१२-१४-१६ वीं रात्रि तथा कन्योत्पत्ति कामना हेतु ५-७-९-११-१३-१५ वीं रात्रि में स्त्री सम्भोग करना चाहिये।
  • इस पंचभौतिक शरीर में माता से उत्पन्न होने वाला भाग- शरीर का कोमल भाग यथा- रक्त, मांस, मज्जा, गुदा आदि। पिता प्रकृति जनित भाग स्थिर (ठोस) वस्तु तथा शुक्र, धमनी, अस्थि, बाल आदि। उभय आत्मशक्ति द्वारा चित्त (मन) इन्द्रियां आदि।

शुद्ध शुक्र (वीर्य) के लक्षण-

  • शुक्रं शुक्लं गुरू स्निग्धं मधुरं बहलं बहु। धृतमाक्षिकतैलाभं सदगर्भायआर्तवं पुनः॥
  • भावार्थ यह स्फटिक श्वेत वर्ण का द्रव समान, स्निग्ध-चिकना, प्रगाढ, शहद के समान गंध फ, वाला, अथवा तैल या शहद के समान शुक्र का रंग भी माना है।

स्त्री के शुद्ध आतंव सूत्ररज के लक्षण -

शशासृक् प्रतिमं ऋतु यद्वा लाक्षारसोपमम्।

तदातवं प्रशंसन्ति यद्वासौ न विरंजयेत्॥

धौतं शशास्नाभं यच्च विरज्यते॥

  • भावार्थ - शुद्ध रज लाख के रस या शशक द्ध, (खरगोश) के रक्त के समान होता है तथा धोने पर वस्त्र- कपड़े से रंग चला जाता है।
  • सँग २ (७) पति-पत्नी रतिप्रसंग कृत संकल्प मन का वेग मनेच्छा ही महत्वपूर्ण स्तंभ होगा उतना ही प्रबल पुल्लिंग योग अन्यथा स्त्रीलिंग योग निर्मित होता है।

सेक्स करने की प्राचीन प्रक्रिया

  • सम्भोग दिवस पर सूर्यास्त पूर्व ही सुपाच्य भोजन करें तथा १-२ पके केले, चांवल-बूरा- देशी घी-दूध से बने पदार्थ ही पुरुष सेवन करें। शराब, मांस आदि का उपभोग न करें।
  • संकेत - विशेष गर्भाधान प्रजनन विकास तथा मनचाही मनेच्छा अनुसार सन्तान कामना हेतु विविध शास्त्रीय सरल आजमाकर संतान पा सकते हैं।

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